Imperfectly Perfect Meaning in Hindi : अपूर्ण किंतु बिल्कुल सही/ अपूर्ण रूप से परिपूर्ण |
In this article, you will get the English to Hindi meaning and translation of Imperfectly Perfect Meaning in Hindi with sentence usage examples.
Imperfectly Perfect Hindi Meaning = अपूर्ण रूप से परिपूर्ण/ अपूर्ण किंतु बिल्कुल सही
Imperfectly Perfect meaning in English, is a phrase that embraces the concept of accepting and appreciating flaws or imperfections as an inherent and beautiful part of existence.
What is the meaning of Imperfectly Perfect in English and Hindi?
WORD | Imperfectly Perfect Meaning in English | Imperfectly Perfect का हिंदी में मतलब |
Imperfectly Perfect | Imperfectibly Excellent, Perfectly Imperfect | अपूर्ण रूप से परिपूर्ण, अपूर्ण किंतु बिल्कुल सही |
Learning Imperfectly Perfect Meaning in Hindi with Example
Sr. No. | Imperfectly Perfect Meaning in English with Example | Imperfectly Perfect Meaning in Hindi with Example |
1. | Her smile is imperfectly perfect, genuinely radiant. | आदित्य का हंसना, अद्भुत अविनाशी है। |
2. | Their friendship, imperfectly perfect, deeply cherished. | सिमा और राज की दोस्ती, अपूर्ण सही है। |
3. | His art, imperfectly perfect, truly expressive. | कृष्ण की कला, अद्वितीय और संवेदनशील है। |
4. | Life’s journey, imperfectly perfect, wonderfully unpredictable. | ज़िन्दगी का सफर, अपूर्ण समृद्धि, अद्वितीय है। |
5. | Their love, imperfectly perfect, beautifully real. | मीना और विक्रम का प्यार, सुंदरता से भरपूर है। |
Related Phrases Meaning in Hindi
Sr. No. | Related Phrases with Imperfectly Perfect | Meaning in Hindi |
1 | You are imperfectly perfect meaning in Hindi | तुम अपूर्णता में भी परिपूर्ण हो |
2 | Sweet but psycho meaning in Hindi | प्यारी पर मनोरोगी |
Imperfectly Perfect ka matlab Kya hai?
Imperfectly Perfect का हिन्दी अर्थ
Imperfectly Perfect का हिंदी अर्थ होता है “अपूर्णता में पूर्णता/ अपूर्ण किंतु बिल्कुल सही”. यह अवधारणा यह दर्शाती है कि किसी व्यक्ति, वस्तु या परिस्थिति में उपस्थित अपूर्णताएं या कमियां भी उसे अनोखा और सुंदर बनाती हैं। इसका मतलब यह है कि पूर्णता की पारंपरिक अवधारणा को छोड़कर, हमें व्यक्तिगत विशेषताओं और अनोखेपन की सराहना करनी चाहिए, भले ही वे पारंपरिक रूप से ‘पूर्ण’ न हों।